प्रदेश की मध्य, पूर्व और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए घरेलू बिजली की दरें 5.28 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव नियामक आयोग को दे दिया है। अायाेग ने इस प्रस्ताव काे अधिकृत वेबसाइट पर जारी किया है। कंपनियों का तर्क है कि उन्हें दो हजार करोड़ रु. का नुकसान हो रहा है।
इसलिए हमारी मजबूरी को समझें और सभी श्रेणियों में दरें बढ़ाई जाएं। अब यदि आयोग कंपनियों का प्रस्ताव स्वीकार करता है तो महंगी बिजली की सबसे ज्यादा मार घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों पर पड़ेगी। जबकि कंपनियों ने प्रस्ताव में कहा है कि यदि उनके अनुसार दरें बढ़ती हैं तो 41,332 करोड़ रु. का राजस्व मिलेगा। अभी राजस्व 39,332 करोड़ है।
100 यूनिट तक 1.20 रु./ यूनिट (दर रुपए/ यूनिट में)
यूनिट | वर्तमान दर | प्रस्ताव |
50 यूनिट तक | 4.05 | 4.35 |
51-100 यूनिट | 4.95 | 5.25 |
101- 300 यूनिट | 6.30 | 6.60 |
300 यूनिट से अधिक | 6.50 | 6.80 |
150 यूनिट वाले उपभोक्ताओं का बिल 600 रुपए से अधिक
वर्तमान में इंदिरा गृह ज्योति योजना के तहत 100 यूनिट तक बिल 100 रुपए और 150 यूनिट की खपत पर शेष 50 यूनिट पर सामान्य दर से करीब 350 रु. का बिल आता है। अब यह राशि बढ़कर 600 रुपए से अधिक हो जाएगी। 300 यूनिट तक उपभोक्ता करने वालों का बिल करीब 2000 रुपए आएगा। इसमें फिक्स चार्ज भी शामिल रहेगा।
शिकायत भी की
एडवोकेट राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि इंदिरा गांधी गृह ज्योति योजना वाले उपभोक्ताओं पर भी बोझ अाएगा। ऐसे उपभोक्ता जिनकी खपत 100 से 150 यूनिट के बीच उन्हें हर महीने करीब डेढ़ सौ रुपए अतिरिक्त बिल अदा करना होगा। इस संबंध में उन्होंने ऊर्जा मंत्री को भी शिकायत पत्र लिखा है।